कवच
ओंकार: पातुशीर्षोमां, हीं बीजंमां हृदयो।
क्लीं बीजं सदा पातु नभो गृहोच पादयो॥
ललाट कर्णो,हूं, बीजंपात महागौरीमां नेत्र घ्राणों।
कपोल चिबुकोफट् पातुस्वाहा मां सर्ववदनो॥
Mahagauri Devi Kavach/महागौरी देवी कवच विशेषताऐ: महागौरी देवी कवच के साथ-साथ यदि गौरीश अष्टकम का पाठ किया जाए तो, इस कवच का बहुत लाभ मिलता है, मनोवांछित कामना पूर्ण होती है| यह कवच शीघ्र ही फल देने लग जाता है| अपने घर को नकारात्मक ऊर्जा से बचाने के लिए पारद शिव गौरी को घर में रखना चाहिए और रोज़ पूजा करनी चाहिए| जीवन में सुख-सुविधाए, धन और समृद्धि की पूर्ति के लिए गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए| यदि साधक महागौरी देवी कवच का पाठ प्रतिदिन करने से बुराइया खुद- ब- खुद दूर होने लग जाती है साथ ही सकरात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है| अपने परिवार जनों का स्वस्थ्य ठीक रहता है और लम्बे समय से बीमार व्यक्ति को इस कवच का पाठ सच्चे मन से करने पर रोग मुक्त हो जाता है| घर में सुख शांति बनी रहती है एव गृह कलेश पीड़ा से मुक्ति मिलती है यदि मनुष्य जीवन की सभी प्रकार के भय, डर से मुक्ति चाहता है तो वह इस कवच का पाठ करे| याद रखे इस कवच पाठ को करने से पूर्व अपना पवित्रता बनाये रखे| इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है|